उसूलों को दे रहे गलियां काबिल-ऐ-गौर है
ख़ुद दो कदम चल नही सकते ये बात और है
बिना रौशनी दौड़ रहे हैं अँधेरी सुरंगों में
वो कहते इसे ही जिंदगी ये बात और है
शिखर पे होने का दंभ है चेहरे पर
खिसक रही नीचे ज़मीन ये बात और है
ज़ख्मों से सीने पे खाली जगह बची नही
अब भी मैं निशाने पर हूँ ये बात और है
सफर पे था इस तरह की कई हमसफ़र हैं
कारवां कही नही था ये बात और है
उनके अधूरेपन को भरने की कोशिश में
और भी मैं खाली हुआ ये बात और है
दहकते अंगारों में निखार रहा था सोना
हाथ मेरे झुलस गए ये बात और है
जाने किस नशे में लड़खडाए उनके कदम
होश में मैं भी नही था ये बात और है
उनकी कोशिश थी मुझे जोड़ने की उस तरफ़ से
मैं इधर भी दरक रहा था ये बात और है
आयीं वो, गयीं भी वो, रह गई सिर्फ़ यादें
वो कभी आयीं ही नहीं, ये बात और है
ख़ुद दो कदम चल नही सकते ये बात और है
बिना रौशनी दौड़ रहे हैं अँधेरी सुरंगों में
वो कहते इसे ही जिंदगी ये बात और है
शिखर पे होने का दंभ है चेहरे पर
खिसक रही नीचे ज़मीन ये बात और है
ज़ख्मों से सीने पे खाली जगह बची नही
अब भी मैं निशाने पर हूँ ये बात और है
सफर पे था इस तरह की कई हमसफ़र हैं
कारवां कही नही था ये बात और है
उनके अधूरेपन को भरने की कोशिश में
और भी मैं खाली हुआ ये बात और है
दहकते अंगारों में निखार रहा था सोना
हाथ मेरे झुलस गए ये बात और है
जाने किस नशे में लड़खडाए उनके कदम
होश में मैं भी नही था ये बात और है
उनकी कोशिश थी मुझे जोड़ने की उस तरफ़ से
मैं इधर भी दरक रहा था ये बात और है
आयीं वो, गयीं भी वो, रह गई सिर्फ़ यादें
वो कभी आयीं ही नहीं, ये बात और है