रुकी पड़ी जिंदगी की अभिलाषा क्या है
समझ नहीं आता इसकी भाषा क्या है
स्याह ठंडी रातें हैं
रुका हुआ समय
रुकी हुई बातें हैं
क़दमों को क्यूँ इसके
जकड़े हुए तांतें हैं
घने कोहरे में सूरज की आशा क्या है
समझ नहीं आता उगने की परिभाषा क्या है
हवाओं के दस्तक से
कपाट बस हिल कर रह जाता है
अन्दर कैद जिंदगी की
गर्म साँसे ले जाता है
एक छोटे कमरे में
दबी कई आवाजें हैं
और बाहर पसरा सन्नाटा
खुश हो कर जश्न मनाता है